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Personal Finance Kya Hai पर्सनल फाइनेंस क्या है?

 

Personal Finance Kya Hai पर्सनल फाइनेंस क्या है?

Personal Finance Kya Hai फाइनेंस की बात आते ही तीन फाइनेंस सामने आता है जिसमें से एक पर्सनल फाइनेंस है जो अपने हिंदी मतलब को साफ़ जाहिर करता है.

  • Personal – व्यक्तिगत
  • Finance – वित्त

Personal Finance का मतलब है – व्यक्तिगत वित्त का प्रबंधन Personal Money Management

Personal Finance Kya Hai

पर्सनल फाइनेंस”, में किसी व्यक्ति के धन की कहानी निहित है जो यह सिखाती है,

  • धन कैसे संभाला जाये.
  • धन पर नियंत्रण कैसे रखते हैं.
  • उपलब्ध धन मतलब अभी जो संपत्ति है उससे ज्यादा से ज्यादा धन कैसे बनाया जाये.

हम सब पैसा कमाते हैं और हम में से कुछ लोग ऐसे हैं जिनकी कमाई काम होने के बावजूद भी वो ज्यादा कमाने वाले व्यक्ति की तुलना में ज्यादा संपत्ति बना लेता है. इससे साफ़ जाहिर होता है, धन कमाने, खर्च करने और बचत, निवेश की जानकारी के अनुसार ही हमारे पास संपत्ति हो पाता है. पर्सनल फाइनेंस में यही जानकारी दी जाती है. किस तरह खुद के लिए पैसों को मैनेज किया जाये.

पर्सनल फाइनेंस और भी कई उदहारण से समझ सकते हैं. बहुत आसान शब्दों में बात किया जाये तो यदि 100 लोगों को 1000 रुपये दिया  सभी का खर्च और बचत करने का तरीका अलग होगा. यही पर्सनल फाइनेंस (Personal Finance) है.

पैसे की समझ को बढ़ने के लिए “Personal finance kya Hai” एक महत्वपूर्ण विषय है. इसमें घरेलु, पारिवारिक, आर्थिक सभी कमाई और खर्च के साथ बचत और निवेश की शिक्षा की बात की जाती है. पैसा कामना बहुत आसान काम है. लेकिन, इसे बचत कर कहीं निवेश करना बहुत कठिन काम है. यदि बचत और निवेश आसान काम होता तो सभी के पास पर्याप्त एसेट्स होता.

पर्सनल फाइनेंस में क्या क्या शामिल है?

पर्सनल फाइनेंस में क्या क्या शामिल हो सकता है. निचे पढ़ने से पहले कमेंट में बता सकते हो क्या? हममें से बहुत लोगों को यह पता है. पर्सनल फाइनेंस में क्या क्या शामिल हो सकता है? फाइनेंस की जानकारी के  म्हणत करना होगा इसके लिए कुछ किताब पढ़ सकते हो, यूट्यूब वीडियो देख सकते हो. किसी शिक्षण संसथान में इसके बारें में कुछ भी नहीं बताया जाता है.

personal finance kya hai

पर्सनल फाइनेंस में व्यक्ति के कमाई, खर्च, बचत और निवेश की शिक्षा दी जाती है. सभी व्यक्ति का कमाने खर्च करने, बचत और निवेश का तरीका अलग है. कुछ लोग जीवन बीमा पालिसी को  हैं तो कुछ लोग पोस्टऑफिस या अन्य किसी फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट में अपना पैसा जमा करना बचत बताते हैं. पर्सनल फाइनेंस एक बहुत बड़ा विषय है, जिसे समझने और समझाने के लिए पर्सनल कोचिंग लेना पर सकता है.

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पैसे कमाने का तरीका मतलब कितने सोर्स से आपके पास पैसा आता है और कितने जगहों पर पैसा खर्च होता है. पर्सनल फाइनेंस में यही मुख्य कमाई और खर्च शामिल है.

यहाँ सोचने वाली बात है कमाई एक या दो रास्ते से हो रहा है. लेकिन, खर्च दो से अधिक रास्ते से हो रहा है. ऐसे में फाइनेंसियल प्लानिंग में भूकंप आना स्वाभाविक है. लेकिन, कुछ रस्ते हैं जिससे इस सुनामी से बचा जा सकता है. ज्यादातर लोग दिवालियेपन से दो या तीन महीना ही दूर होते हैं. फाइनेंसियल शिक्षा के लिए आप हमारा सेमिनार अटेंड कर सकते हो. जो यूट्यूब और अन्य कई जगहों पर ऑफलाइन भी दिया जाता है.

पर्सनल फाइनेंस की शिक्षा

फाइनेंस एक समुद्र है और पर्सनल फाइनेंस उस समुद्र का ही एक हिस्सा है. जैसे समुद्र से एक बाल्टी पानी निकल लेने से समुद्र पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. वैसे ही समुद्र का एक हिस्सा भी अपने आप में एक समुद्र ही है. पर्सनल फाइनेंस बहुत बड़ा विषय है और पर्सनल फाइनेंस के अन्दर आने वाले सभी आय और व्यय को कुछ केटेगरी में बाँट कर अच्छे से समझ सकते हैं. जैसा की ऊपर भी इसे अलग अलग भागों में लिखा गया है.

  • बजट (Budget) – बजट में सभी तरह का आय और व्यय शामिल किया गया है. बचत (Saving) की परिभाषा या बचत या लाभ (Profit) कितना हुआ यह कैसे निकलेंगें? इसके बारें में कमेंट में जरूर बताएं.
  • बीमा (Insurance) – कुछ लोगों का मानना है बीमा (Insurance Policy) बचत का एक तरीका है. लेकिन, ऐसा नहीं है. सही मायने में इन्शुरन्स पालिसी बचत का तरीका नहीं है. यह व्यक्ति के अनुसार निर्भर करता है. जिसके पास फाइनेंसियल शिक्षा है. उसके अनुसार म्यूच्यूअल फण्ड भी इन्वेस्टमेंट की लिस्ट में नहीं है.
  • बचत और निवेश (Saving and Investment) – बचत करना और निवेश करना दोनों ही अलग अलग है. गेट वे ऑफ़ इंडिया के पास से ताज को देखना और ताज होटल के कमरे से गेट वे ऑफ़ इंडिया को देखना दोनों में अंतर है. बचत और निवेश भी कुछ ऐसा ही है.
  • टैक्स (Tax) – जिनके पास पर्याप्त फाइनेंसियल शिक्षा है वह बहुत आसानी से टैक्स बचा लेते है. उन्हें पता है. किस तरह से टैक्स की प्लानिंग की जाये और इससे लाभ किस तरह मिल सकता है. लेकिन, जिनके पास पर्याप्त फाइनेंसियल जानकारी वो कमाई का बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में दान कर देते हैं.
  • Financial Planning – फाइनेंसियल प्लानिंग में सभी खर्च का समय और राशि लिखा जाता है. जैसे बच्चों की पढाई, शादी, इन्शुरन्स, घर का किराया या होम लोन EMI, कार EMI, रिटायरमेंट इसके अलावे भी कुछ खर्च शामिल हो सकते हैं.

पर्सनल फाइनेंस क्या है

पैसे के बारें में सभी का विचार अलग है. किसी के पास पैसे हो तो वह जमीन जायदाद खरीदता है. लेकिन कुछ लोग जमीन बेच कर कोई और शौक पूरा करते हैं. धन व्यक्तिगत विषय है, हर व्यक्ति का धन अर्जित और खर्च का तरीका बहुत अलग है. इसके साथ ही सभी का क्षमता भी अलग है. किसी के पास बहुत पैसा होता है लेकिन, फिर भी भिखारी की तरह जीता है. कुछ के पास सामान्य पैसा होता है लेकिन वह उससे ज्यादा अच्छे से रहता है. इसीलिए हर व्यक्ति अपनी  क्षमता के अनुसार ही पैसे बना पाता है और यही कारण है धन एक व्यक्तिगत विषय है हर व्यक्ति खुद का पर्सनल फाइनेंसियल एडवाइजर है.

शिक्षा व्यवस्था को तीन भागों में रखा गया है.

  • अकादमिक एजुकेशन
  • प्रोफेशनल एजुकेशन
  • फाइनेंसियल एजुकेशन

अकादमिक और प्रोफेशनल एजुकेशन तो कुछ हद तक दिया जा रहा है. लेकिन, देश के सबसे बड़े मैनेजमेंट संसथान में भी फाइनेंसियल एजुकेशन की बात नहीं बताई जाती है. यहाँ एक अजीब सी होर लगी है. पढाई क्यों करते हो तो अच्छी सी नौकरी मिल जाये. यहाँ सिर्फ नौकर तैयार करने के फार्मूला पर काम किया जा रहा है. हो सकता है कुछ लोगों को मेरी बातें बुरी लगे लेकिन मेरे प्यारे दोस्तों यह सच है.

किड्स प्ले स्कूल से क्लास और स्कूल में टोपर बनने के  कहा जाता है. बच्चा फ़ैल हो गया तो पूछो मत क्या होगा? हमेशा से बस अच्छे मार्क्स और नामी कॉलेज से डिग्री मिल जाये इसकी तमन्ना है. इसके बाद कॉलेज का मैक्सिमम प्लेसमेंट कितना है. कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले पिछला प्लेसमेंट रिकॉर्ड चेक किया जाता है.


हम सभी अलग हैं. हमारा व्यवहार, समय, सोचने, समझने, मानसिक स्थिति का स्तर अलग है. इसके साथ ही जब पिछले साल प्लेसमेंट हुआ तो सरकार, कंपनी और समय भी अलग था. जब इतने बदलाव हो चूका है तो उस प्लेसमेंट की उम्मीद पर इस साल एडमिशन लेना बिलकुल गलत है. जिस किसी भी स्टूडेंट का मैक्सिमम पैकेज पर प्लेसमेंट हुआ है उसकी सोचने समझने की समझदारी भी अलग होगी क्या पता उसका IQ Level हमसे कितना ज्यादा और काम होगा.

पैसे का महत्व

आज हम आधुनिक युग में जी रहे हैं. यहाँ आधुनिकरण के साथ आर्थीकरण का भी विकास हो रहा है. सिर्फ आधुनिकरण की बात की जाती तो बहुत ही अच्छी बात थी. लेकिन, यहाँ आधुनिकरण की काम और आर्थीकरण की बात ज्यादा हो रही है. आर्थीकरण के इस दौर में जीने के लिए पैसा कितना जरुरी है यह बताने कि जरुरत नहीं समझता हूँ. शायद मुझसे ज्यादा बेहतर तरीके से पता हो.

जीवन यापन के लिए पैसा कामना हमारे लिए बहुत जरूरी है. और जब कमाई हमारी होती है तो खर्च करने का भी अधिकार हमारा होता है. लेकिन भविष्य के लिए इसे बचत करना जरूरी है. जिससे समय पर अपने काम से रिटायर हो सको. किसी व्यकित के कमाने, खर्च करने, और बचत, निवेश करने को “Money Control (Cashflow Controll)” करना कहते है.

जिन्हे पैसे की समझ समय रहते आ जाती है वह धन का अच्छा मैनेजमेंट कर लेता है और कुछ ही समय में वह ढेर सारे पैसे का स्वामी बन जाता है. इसीलिए हमें पर्सनल फाइनेंस की जानकरी होनी चाहिए. पैसे को अच्छी तरह मैनेज करे वाला बेहतर निवेश कर अच्छा घर, गाड़ी और अपने कई सपने पूरा कर लेते हैं.

हम में से ज्यादातर लोग के पास पैसों की समझदारी औसत से भी काम है और हमारे पास कमाई का बहुत अच्छा विकल्प होने के बावजूद हमेशा आर्थिक तंगी से गुजरते हैं. अक्सर महीने के अंतिम तारीख से पहले कुछ कर्ज भी लेना पर जाता है. जिसे सैलरी मिलते ही चुकाना और फिर से कर्ज का सिलसिला चलता रहता है. और अंत में एक डायलॉग के साथ खुद को तसल्ली देने का काम करना होता है.  पैसा तो  बहुत कमाया लेकिन, कुछ बचा नहीं पाया.



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